ब्राह्मण नहीं निकली नौकरानी तो वैज्ञानिक ने दर्ज कराई FIR


 ब्राह्मण नहीं निकली नौकरानी तो वैज्ञानिक ने दर्ज कराई FIR


भारत के मौसम विज्ञान विभाग की वैज्ञानिक मेधा खोले ने अपने घर में काम कर रही 80 साल की निर्मला यादव के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया है. निर्मला पर आरोप यह है कि उसने अपनी जाति और वैवाहिक स्थिति छुपा कर उनकी 'धार्मिक भावनाओं' को आहत किया है.

खोले ने अपनी शिकायत में कहा है कि उन्हें धार्मिक अवसरों के दौरान अपने घर में खाना पकाने के लिए एक विवाहित ब्राह्मण महिला की जरूरत थी. लेकिन निर्मला ने अपनी जाति और वैवाहिक स्थिति छिपाकर खुद को निर्मला कुलकर्णी बताया. महिला उनके घर साल 2016 से हर खास आयोजन पर खाना बनाने के लिए आती थीं.



उन्होंने  बताया, हाल ही में गणेश उत्सव के दौरान मेधा को महिला के "ब्राह्मण" न होने की जानकारी मिली. इसके बाद शिकायतकर्ता स्पष्टीकरण मांगने के लिए महिला के घर गई. वहां जाकर उन्हें पता चला कि निर्मला जाति से 'यादव' हैं और विधवा हैं. खोले ने दावा किया कि यादव ने उनके साथ दुर्व्यवहार और हाथापाई भी की. इसके बाद मेधा ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और धोखाधड़ी करने का केस दर्ज करवाया है.



इस मामले को लेकर सिंहगढ़ पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता की धारा 419 (आचरण द्वारा धोखाधड़ी), 352 (हमला या अपराधी बल के लिए सजा) और 504 (शांति का उल्लंघन करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) के तहत शिकायत दर्ज की गई थी.



महिला पर शिकायत दर्ज होते बजरंग दल सहित कई संगठन महिला के बचाव में खड़े हो गए हैं. इस मामले को लेकर संभाजी ब्रिगेड के सदस्यों ने शुक्रवार को संयुक्त पुलिस आयुक्त रवींद्र कदम से मुलाकात की और खोले के खिलाफ कथित तौर पर जातिवाद को बढ़ावा देने के लिए कड़ी कार्रवाई करने की भी मांग की.

संभाजी ब्रिगेड के संतोष शिंदे ने कहा, "इस मामले को इकलौते रूप में न देखें, क्योंकि इसने सामाज पर गहरा प्रभाव डाला है.यह मामला उस व्यक्ति द्वारा दायर किया गया है जो सरकार के प्रमुख विभाग में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं और खुद को वैज्ञानिक कहते हैं. मामला शिकायतकर्ता की जातिवादी मानसिकता को दर्शाता है."

बजरंग दल के संपत चरवाना ने कहा, "हमने यादव से मुलाकात की और हमारा समर्थन बढ़ाया. हम यह भी मांग करते हैं कि मेधा खोले को माफी मांगनी चाहिए और अपनी शिकायत वापस लेनी चाहिए."

इसी बीच, अखिल भारतीय ब्राह्मण महासंघ ने इस मामले को कानून के दायरे में लाने को अनुपयुक्त माना और कहा कि इस मुद्दे को पारस्परिक रूप से हल करना चाहिए
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