
बीजिंग (15 सितंबर): भारत और जापान के बीच लगातार मजबूत होती दोस्ती से ड्रैगन बेचैन नजर आ रहा है। चीन ने कहा है कि भारत से साथ सीमा विवाद में उस तीसरे पक्ष का दखल मंजूर नहीं होगा। चालबाज चीन को डर लग रहा है कि भारत-जापान की दोस्ती से उसके भारत के साथ सीमा विवाद में भी दखलअंदाजी हो सकती है।
चीन विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि हम साफ कह देना चाहेंगे कि इंडिया और चीन की बॉर्डर सीमा पूरी तरह से तय नहीं हुई है और ईस्ट सेक्शन विवादित है। हम बातचीत के जरिए हल खोजने का प्रयास कर रहे हैं, जो दोनों पार्टी को स्वीकार्य हो। ऐसे में हम भारत और दूसरी पार्टियों से अपेक्षा करेंगे कि वह इस बात पर ध्यान दे और कोई भी तीसरी पार्टी इसमें दखल न दे। हुआ ने आगे कहा कि भारत और जापान दोनों ही एशिया में बड़े महत्वपूर्ण देश हैं। ऐसे में हम आशा करते हैं कि दोनों देशों के रिश्तों में सामान्य विकास क्षेत्रीय स्थिरता और विकास में अहम रोल निभाएगा।
आपको बता दें कि जापान के पीएम शिंजो आबे के दौरे के दौरान भारत के साथ नॉर्थ ईस्ट इंडिया में भी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के निर्माणों पर समझौते हुए हैं। शिंजो आबे और पीएम मोदी ने मिलकर गुरुवार को इंडिया जापान एक्ट ईस्ट फोरम का गठन करने की घोषणा की। यह फोरम नॉर्थ ईस्ट इंडिया में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के निर्माण पर काम करेगी। इन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में रोड निर्माण, इलेक्ट्रसिटी और वॉटर सप्लाई जैसे प्रोजेक्ट शामिल हैं।
चीन अरुणाचल प्रदेश के 90 हजार स्कवायर किमी के इलाके को अपना बताता है। यही वजह है कि चीन ने भले सीधे अरुणाचल का नाम नहीं लिया, लेकिन कहा कि वह इस इलाके में किसी थर्ड पार्टी की दखल बर्दाश्त नहीं करेगा। इससे यह कहा जा सकता है कि चीन इंडिया और जापान के इन साझा प्रोजेक्ट के खिलाफ है।
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